रतन को धारण कर ज्योतिष शास्त्र मे उपाय / Remedies for wearing gemstones.
जब बात ज्योतिष शास्त्र की एवं ग्रह-नक्षत्रों की आती है, तो बिना रत्नों के पूर्ण नहीं समझा जा सकता है, क्योंकि हर ग्रहों के अपने रत्न एवं उपरत्न हैं। जब आप किसी ग्रह के निदान के लिए रत्न (नग) अंगूठी में जड़ने एवं अभिमन्त्रित कर पहनते हैं, उसी समय से पुराणों के अनुसार उस रत्न (नग) की आयु का निर्धारण हो जाता है।
जैसे- माणिक्य- 4 वर्ष , मोती- 2 वर्ष एक माह 27 दिन, मूंगा- 3 वर्ष, पन्ना- 3 वर्ष , पुखराज- 4 वर्ष ,3 माह 18 दिन, हीरा- 7 वर्ष , नीलम- 5 वर्ष , गोमेद- 3 वर्ष , लहसुनिया- 3 वर्ष ।
Note - रत्न (नग) की आयु पूर्ण होने के पश्चात उसे अन्य कार्यों (जेवर) में उपयोग में लेना चाहिए।
पुराणों में मुख्यतः 9 रत्नों का ही विवरण है, किन्तु हमारे मशीनियो , विद्वतजनों द्वारा रत्न-उपरत्न मिलाकर कुल 109 रत्न या इससे अधिक रत्नों का विवरण प्राप्त होता है।रत्नों का उपयोग ग्रहों के कुप्रभाव शांत करने या कमजोर ग्रह को शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है। रत्नों (नग) के बारे में हर ज्योतिषाचार्यो का अपना-अपना अलग मत होता है।शास्त्रानुसार रतन/उपरत्न धारण करने के पश्चात कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे- रत्न धारण कर श्मसान घाट, बच्चे के जन्म स्थान में नहीं जाना चाहिए, अगर जाना जरूरी हुआ तो रत्न उतार कर पवित्र स्थान पर रखकर जायें। वापस आकर योग्य ज्योतिषाचार्य से पूंछकर ही रत्न को धारण करना चाहिए। जो व्यक्ति मांस-मदिरा का सेवन करते हैं उन्हें रत्न धारण नहीं करना चाहिएं क्योंकि उसका विपरीत प्रभाव उस व्यक्ति को प्राप्त होता है।
रत्न धारण करने से पूर्व किसी योग्य ज्योतिषी या पंडित से समय-तिथि-लग्न देखकर और अभिमंत्रित करवा कर ही रत्न धारण करना चाहिए।
जनमानस में कुछ लोग शौक-वर्ष भी रत्न धारण कर लेते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए, कभी-कभी इसका कुप्रभाव झेलना पड़ जाता है। रत्न हमेश ही किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह पर ही धारण करना चाहिए और अगर शौकिया रत्न धारण करते हैं तो वह शरी को (उंगली के अन्दर) स्पर्श न करे। अगर व्यक्ति को अपना जन्म समय ज्ञात नहीं है, तो उसे हस्तरेखा विशेषज्ञ, अंक ज्योतिष के माध्यम से रत्न का चयन करना चाहिए।
रत्न धारण करने के पश्चात समय पर अपने योग्य ज्योतिषाचार्य से सलाह लेते रहना चाहिए। क्योंकि समस्त ग्रह चलायमान हैं। कभी अच्छा प्रभाव तो कभी बुरा प्रभाव यह नैसर्गिक है। जिस प्रकार आप अपने स्वास्थ्य को लेकर समय पर डाक्टर से अपना चेकअप कराते हैं, उसी तरह समय पर योग्य ज्योतिषाचार्य से समय लेकर अपने ग्रहो के बारे में भी जानकारी करते रहना चाहिए।
गोचर में ग्रह मार्गों के चलने के साथ-साथ कुछ अवधि के लिए वक्रीय हो जाते है। क्लाॅक वाइज चलते-चलते एण्टीक्लाॅक हो जाते है।
ऐसी स्थिति में फल भी विपरीत देने लगते है। वही नग लाभ की जगह हानि करने लगता है।